देखौ माई सुंदरता की सीवाँ
देखौ माई सुंदरता की सीवाँ।
व्रज नव तरुनि कदंब नागरी, निरखि करतिं अधग्रीवाँ।।
जो कोउ कोटि कलप लगि जीवे रसना कोटिक पावै।
तऊ रुचिर वदनारबिंद की सोभा कहत न आवै।।
देव लोक भूलोक रसातल सुनि कवि कुल मति डरिये।
सहज माधुरी अंग अंग की कहि कासौं पटतरिये।।
(जै श्री) हित हरिवंश प्रताप रूप गुन वय बल स्याम उजागर।
जाकी भ्रू विलास बस पसुरिव दिन विथकत रस सागर
Hindi Translation:
श्रीहित सखी (श्री हित हरिवंश महाप्रभु) कहती हैं- हे सखियों ! सुन्दरता की सीमा (श्रीराधा) को तो देखो !जिस नागरी को देख कर समस्त व्रज की नव युवती गण (उसकी सौंदर्य राशि के सामने लज्जावश अपना) सिर झुका ले...
Raag:
Malhar
Vaani:
श्री हित चौरासी जी