यह जु एक मन बहुत ठौर करि
यह जु एक मन बहुत ठौर करि, कहि कौनें सचु पायौ ।
जहँ तहँ विपति जार जुवती लौं, प्रगट पिंगला गायौ ॥
द्वै तुरंग पर जोरि चढ़त हठि, परत कौन पै धायौ ।
कहिधौं कौन अंक पर राखै, जौ गनिका सुत जायौ ॥
(जै श्री) हित हरिवंश प्रपंच बंच सब काल ब्याल कौ खायौ ।
यह जिय जानि स्याम-स्यामा पद कमल संगि सिर नायो ॥
Hindi Translation:
यह पद श्री हित हरिवंश महाप्रभु ने श्री हरिराम व्यास के प्रश्नों के उत्तर में कहा था, जिसके बाद श्री हरिराम व्यास जी उनके शिष्य बन गये थे। श्री हित महाप्रभु कहते हैं: इस एक मन को बहुत स्थानों पर लगाकर ...
Raag:
Gaurī
Vaani:
श्री हित चौरासी जी