सुनि मेरो वचन छबीली राधा
सुनि मेरो वचन छबीली राधा, तैं पायो रस सिंधु अगाधा ।।
तूँ वृषभानु गोप की बेटी, मोहनलाल रसिक हँसि भेंटी ।
जाहि बिरंचि उमापति नाये, तापै तैं बन फूल बिनाये ।।
जो रस नेति-नेति श्रुति भाख्यो, ताकौ तैं अधर सुधारस चाख्यौ ।
तेरौ रूप कहत नहीं आवै, जै श्रीहित हरिवंश कछुक जस गावै ।
Hindi Translation:
"हे छविमयी राधे ! तू मेरी बात सुन ! तूने रस का गम्भीर समुद्र पाया है । यद्यपि तू वृषभानु गोप की ही बेटी है, फिर भी तूने प्रसन्नता पूर्वक रसिक मोहन लाल का आलिंगन किया है, जिन श्रीकृष्ण का नमन ब्रह्म और...
Raag:
Asāvarī
Vaani:
श्री हित चौरासी जी