बनी वृषभानु नंदिनी आजु
बनी वृषभानु नंदिनी आजु।
भूषन वसन विविध पहिरे तन पिय मोंहन हित साजु।।
हाव भाव लावन्य भृकुटि लट हरति जुवति जन पाजु।।
ताल भेद औघर सुर सूचत नूपुर किंकिनि बाजु।।
नव निकुंज अभिराम स्याम सँग नीकौ बन्यौ समाजु।
(जै श्री ) हित हरिवंश विलास रास जुत जोरि अविचल राजु ।।
Hindi Translation:
आज श्रीवृषभानु नन्दिनी कैसी सुंदर बनी हैं। उन्होंने अपने प्रियतम मोहन के लिये विविध भूषण वस्त्र सज्जित करके आपने श्रीवपु में धारण कर रखे हैं। [1]
वे (रास में) हाव भाव, लावण्य एवं भृकुटियों के नर्त्तन...
Raag:
Sāraṃga
Vaani:
श्री हित चौरासी जी