आवति श्रीवृषभानु दुलारी
आवति श्रीवृषभानु दुलारी ।
रूप रासि अति चतुर सिरोमनि अंग अंग सुकुमारी ॥
प्रथम उबटि मज्जन करि सज्जित नील बरन तन सारी ।
गुंथित अलक तिलक कृत सुंदर सैंदुर माँग सँवारी ॥
मृगज समान नैंन अंजन जुत रुचिर रेख अनुसारी ।
जटित लवंग ललित नासा पर दसनावलि कृत कारी ॥
श्रीफल उरज कॅसूभी कंचुकि कसि ऊपर हार छबि न्यारी ।
कृस कटि उदर गँभीर नाभि पुट जघन नितंबनि भारी ॥
मनौं मृनाल भूषन भूषित भुज स्याम अंस पर डारी ।
(जै श्री) हित हरिवंश जुगल करिनी गज विहरत वन पिय प्यारी ॥
Hindi Translation:
श्रीहित सखी ने कहा- हे सखियो अत्यन्त चतुर शिरोमणि, रूप की राशि (अपार रूपवती) एवं अङ्ग–अङ्ग में परम सुकुमारी श्रीवृषभानु दुलारी आ रही हैं। उन्होंने प्रथम तो उबटन पूर्वक स्नान किया है और तत्पश्चात् अपन...
Raag:
Sāraṃga
Vaani:
श्री हित चौरासी जी