देखौ माई अबला के बल रासि
देखौ माई अबला के बल रासि।
अति गज मत्त निरंकुस मोंहन ;
निरखि बँधे लट पासि।।
अबहीं पंगु भई मन की गति;
बिनु उधम अनियास ।
तबकी कहा कहौं जब प्रिय प्रति ;
चाहति भृकुटि बिलास।।
कच संजमन व्याज भुज दरसति;
मुसकनि वदन विकास ।
हा हरिवंश अनीति रीति हित ;
कत डारति तन त्रास।।
Hindi Translation:
(श्री हित सजनी ने अपनी सखियों से कहा ) "हे माई ! देखो ! अबला ( श्रीराधा ) के बल राशि को तो देखो ! जिन श्रीराधा को देखते ही अत्यंत मतवाले एवं निरंकुश गजराज वत मोहन लाल भी उनकी केश लट के एक ( अल्प ) बंध...
Raag:
Malhāra
Vaani:
श्री हित चौरासी जी