आजु देखि व्रज सुन्दरी मोहन बनी केलि
आजु देखि व्रज सुन्दरी मोहन बनी केलि।
अंस अंस बाहु दै किसोर जोर रूप रासि,
मनौं तमाल अरुझि रही सरस कनक बेलि॥
नव निकुंज भ्रमर गुंज, मंजु घोष प्रेम पुंज,
गान करत मोर पिकनि अपने सुर सौं मेलि।
मदन मुदित अंग अंग, बीच बीच सुरत रंग,
पलु पलु हरिवंश पिवत नैन चषक झेलि॥
Hindi Translation:
(श्रीहित सजनी कहती हैं-) "सखियों! देखो आज ब्रज सुंदरी श्रीराधा और मोहन की क्रीड़ा (कैसी भली) बनी है। रूप की राशि युगल किशोर परस्पर एक के स्कन्ध पर दूसरे की बाहुलता लपेट कर ऐसे शोभित हैं मानो तमाल (द्र...
Raag:
Toḍī
Vaani:
श्री हित चौरासी जी