आजु नागरी किसोर, भाँवती विचित्र जोर
आजु नागरी किसोर, भाँवती विचित्र जोर,
कहा कहौं, अंग अंग परम माधुरी।
करत केलि कंठ मेलि बाहु दंड गंड-गंड,
परस, सरस रास लास मंडली जुरी॥
स्याम-सुंदरी विहार, बाँसुरी मृदंग तार,
मधुर घोष नूपुरादि किंकनी चुरी।
(जै श्री) देखत हरिवंश आलि, निर्त्तनी सुधंग चलि,
वारि फेरि देत प्राँन देह सौं दुरी॥
Hindi Translation:
आज रस विदग्धा श्रीराधा एवं ललित नायक श्याम सुन्दर अनुपम छटा से शोभित हैं। अंग प्रत्यंग से प्रस्फुट रूप माधुर्य्य अवर्णनीय है। सहचरि परिकर में अनुराग विवश युगल, परस्पर स्कन्ध वाहु परिवेष्टित, कपोल का स...
Raag:
Sāraṃga va Bilāvala
Vaani:
श्री हित चौरासी जी