अति ही अरुन तेरे नयन नलिन री
अति ही अरुन तेरे नयन नलिन री।
आलस जुत इतरात रँगमगे,
भये निसि जागर मषिन मलिन री॥
सिथिल पलक में उठति गोलक गति,
बिंधयौ मोंहन मृग सकत चलि न री।
(जै श्री) हित हरिवंश हंस कल गामिनि,
संभ्रम देत भ्रमरनि अलिन री॥
Hindi Translation:
अरी सखि ! आज तुम्हारे नयन कमल बड़े अरुणिम हैं। रात्रि भर विलास एवं जागरण के चाव से अत्यन्त आलस्य युक्त हो रहे हैं। मिलन के गौरव से गर्वित, प्रेम रंग से छलक रहे हैं एवं कज्जल रंजित श्यामलता से शोभित है...
Raag:
Bilāvala
Vaani:
श्री हित चौरासी जी