कौन चतुर जुवती प्रिया, जाहि मिलत लाल चोर ह्वै रैंन
कौन चतुर जुवती प्रिया, जाहि मिलत लाल चोर ह्वै रैंन।
दुरवत क्यौंऽब दूरै सुनि प्यारे, रंग में गहले चैन में नैंन।
उर नख चंद विराने पट, अटपटे से बैंन।
(जै श्री) हित हरिवंश रसिक राधापति प्रमथित मैंन॥
Hindi Translation:
(श्रीहित अलि ने कहा-) हे लाल ! ऐसी कौन चतुर युवती प्रेयसी है (जिससे) आप रात्रि में चोरी चोरी मिलते हैं ? हे प्यारे ! आनन्द विलास रंजित एवं सुख पूरित आपके नयन भला कहीं छिपाने से छिप सकते हैं? वक्षस्थल ...
Raag:
Vibhāsa
Vaani:
श्री हित चौरासी जी