आजु बन राजत जुगल किसोर
आजु बन राजत जुगल किसोर ।
नंद नँदन वृषभानु नंदिनी उठे उनीदें भोर ।।
डगमगात पग परत सिथिल गति परसत नख ससि छोर ।
दसन बसन खंडित मषि मंडित गंड तिलक कछु थोर ।।
दुरत न कच करजनि के रोकें अरुन नैन अलि चोर ।
(जै श्री) हित हरिवंश सँभार न तन मन सुरत समुद्र झकोर ।।
Hindi Translation:
आज श्रीवृन्दावन में युगलकिशोर श्रीश्यामाश्याम शोभायमान हैं। श्रीनन्दनन्दन और श्रीवृषभानुनन्दिनी सम्पूर्ण रात्रि प्रेम विहार करने के बाद उनींदी अवस्था में प्रातःकाल उठे हैं। उनके चरण डगमगाते हुए पड़ र...
Raag:
Gaṃdhāra
Vaani:
श्री हित चौरासी जी