आजु तौ जुवति तेरौ वदन आनंद भरयौ
आजु तौ जुवति तेरौ वदन आनंद भरयौ,
पिय के संगम के सूचत सुख चैन।
आलस बलित बोल, सुरँग रँगे कपोल,
विथकित अरुन उनींदे दोउ नैंन॥
रुचिर तिलक लेस, किरत कुसुम केस;
सिर सीमंत भूषित मानौं तैं न।
करुना करि उदार राखत कछु न सार;
दसन वसन लागत जब दैंन॥
काहे कौं दुरत भीरु पलटे प्रीतम चीरु,
बस किये स्याम सिखै सत मैंन।
गलित उरसि माल, सिथिल किंकनी जाल,
(जै श्री) हित हरिवंश लता गृह सैंन॥
Hindi Translation:
हे युवति ! तुम्हारा जो यह मुख आनन्द से प्रफुल्लित है उसी से तुम्हारे प्रियतम सङ्गम जनित सुख की सूचना मिल रही है। जैसे तुम्हारे बोल आलस्य से लटपटाये हुए हैं वैसे ही तुम्हारे कपोल भी सुरंग (ताम्बूल पीक...
Raag:
Vibhāsa
Vaani:
श्री हित चौरासी जी