आजु गोपाल रास रस खेलत
आजु गोपाल रास रस खेलत,
पुलिन कलपतरु तीर री सजनी ।
सरद विमल नभ चंद विराजत,
रोचक त्रिविध समीर री सजनी ।।
चंपक बकुल मालती मुकुलित,
मत्त मुदित पिक कीर री सजनी ।
देसी सुधंग राग रँग नीकौ,
ब्रज जुवतिनु की भीर री सजनी ।।
मघवा मुदित निसान बजायौ,
व्रत छाँड़यौ मुनि धीर री सजनी ।
(जै श्री) हित हरिवंश मगन मन स्यामा,
हरति मदन घन पीर री सजनी ।।
Hindi Translation:
( श्रीहित सजनी ने कहा – ) अरी सजनी ! आज विमल कल्पवृक्ष के तीर यमुना पुलिन पर श्रीगोपाल लाल रास क्रीड़ा कर रहे हैं । सजनी ! जैसा निर्मल शरद का समय है वैसा ही सुन्दर चन्द्रमा आकाश में शोभित है और रोचक ...
Raag:
Dhanāśrī
Vaani:
श्री हित चौरासी जी