चलि सुंदरि बोली वृंदावन
चलि सुंदरि बोली वृंदावन ।
कामिनि कंठ लागि किन राजहि, तूँ दामिनि मोंहन नौतन घन ​​॥
कंचुकी सुरंग विविध रँग सारी, नख जुग ऊन बने तरे तन ।
ये सब उचित नवल मोहन कौं, श्रीफल कुच जोवन आगम धन ॥
अतिसै प्रीति हुती अंतरगत, (जैश्री) हित हरिवंश चली मुकुलित मन ।
निविड़ निकुंज मिले रस सागर, जीते सत रति राज सुरत रन ॥
Hindi Translation:
(दूतिका ने श्रीप्रियाजी से कहा- ) हे सुन्दरि ! चलो !! तुम्हें ( प्रियतम ने ) वृंदावन में बुलाया है । हे कामिनि ! तुम तो हो दामिनि जैसी और मोहन नूतन घन की भाँति । तब फिर तुम उनके कण्ठ में ( घन में दामि...
English Translation:
In this first pada of Shri Hita Chaurasi Shree Hita Harivansh Mahaprabhu has described the lovely nature of Shri Radha and her love towards Shri Krishn in a very beautiful way. Shri Radha is describin...
Author:
Shri Hit Harivansh Mahaprabhu
Raag:
Sarang
Vaani:
श्री हित चौरासी जी
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